Tuesday, June 3, 2025

The General Theory Of Employment, Interest And Money

"The General Theory of Employment, Interest and Money" (1936) किताब जॉन मेनार्ड कीन्स (John Maynard Keynes) द्वारा लिखी गई थी। यह आधुनिक अर्थशास्त्र की सबसे प्रभावशाली पुस्तकों में से एक मानी जाती है। इस किताब ने पारंपरिक अर्थशास्त्र (Classical Economics) के कई सिद्धांतों को चुनौती दी और Keynesian Economics की नींव रखी।

यहाँ इस किताब की मुख्य बातों को हिंदी में सरल भाषा में समझाया गया है:


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📘 1. रोजगार (Employment) का सिद्धांत

कीन्स का मानना था कि:

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था अपने आप पूर्ण रोजगार (Full Employment) की स्थिति में नहीं पहुँचती।

बेरोजगारी लंबे समय तक बनी रह सकती है, यदि कुल माँग (Aggregate Demand) पर्याप्त न हो।


👉 समाधान: सरकार को चाहिए कि वह जनता की माँग को बढ़ाने के लिए खर्च करे (जैसे - इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, सड़क आदि पर खर्च), जिससे रोजगार बढ़ेगा।


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💰 2. ब्याज दर (Interest Rate) का निर्धारण

पारंपरिक अर्थशास्त्री मानते थे कि ब्याज दर बचत और निवेश के संतुलन से तय होती है।

कीन्स ने कहा कि ब्याज दर "पैसे की माँग और आपूर्ति" से तय होती है।


👉 लोग पैसा अपने पास क्यों रखते हैं?
कीन्स ने तीन कारण बताए:

1. लेन-देन हेतु (Transaction Motive)


2. एहतियातन (Precautionary Motive)


3. सट्टा उद्देश्य (Speculative Motive) – भविष्य में ब्याज दर घटने की उम्मीद से




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📉 3. निवेश (Investment) और उत्पादन

कीन्स के अनुसार, उत्पादन और रोजगार का स्तर मुख्यतः निवेश और कुल माँग पर निर्भर करता है।

यदि निवेश घटेगा, तो उत्पादन घटेगा और बेरोजगारी बढ़ेगी।


👉 सरकार को मंदी के समय निवेश को प्रोत्साहित करना चाहिए – टैक्स में छूट, ब्याज दर में कमी आदि उपायों से।


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🔄 4. गुणक प्रभाव (Multiplier Effect)

कीन्स ने बताया कि जब सरकार खर्च करती है, तो वह सिर्फ एक बार का असर नहीं करता –
बल्कि वह कई गुना असर करता है।

उदाहरण: सरकार 100 करोड़ रुपये खर्च करती है → मज़दूरों को वेतन मिलता है → वे दुकान से सामान खरीदते हैं → दुकानदार की आय बढ़ती है → वो और खर्च करता है…
👉 इससे पूरे देश की आर्थिक गतिविधि में कई गुना बढ़ोतरी होती है।


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🏛️ 5. सरकार की भूमिका (Role of Government)

कीन्स ने कहा कि मंदी (Recession) से बाहर आने के लिए सरकार को:

घाटे में जाकर भी खर्च करना चाहिए (Deficit Spending)

लोगों की माँग को बढ़ाना चाहिए

करों को कम करना चाहिए


यह "Keynesian Policy" कहलाती है, जिसे आज भी बहुत देश अपनाते हैं।


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निष्कर्ष (Conclusion)

कीन्स का संदेश:
"बाजार अपने आप स्थिर नहीं होते, सरकार को दखल देना चाहिए ताकि मांग, रोजगार और उत्पादन को स्थिर रखा जा सके।"



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